Divya Dampati ki Aarti
Devkinandan Thakur Ji Maharaj
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दिव्य दम्पति की आरती उतारो हे अली-२
राजे नंदजू के लाल वृषभान की लली
दिव्य दम्पति की आरती उतारो हे अली....
पद नख मणि चन्द्रिका की उज्जवल प्रभा
नील पीत कटी पट रहे मन को लुभाय
कटी कोंधनी की शोभा अति लगती भली...
दिव्य दम्पति की आरती उतारो हे अली........
नाभि रुचिर गंभीर मन भंवर पड़े
उर कोस्तुभ श्री वत्स भ्रगु पद उभरे
वन माल उर राजे कम्बू कंठ त्रिवली...
दिव्य दम्पति की आरती उतारो हे अली.......
दिव्य काँती गौर श्याम मुख चन्द्र की छटा
घुंघराली अलकावली सुजलज घटा
द्युति कुंडल दशन सोचपल बिजली...
दिव्य दम्पति की आरती उतारो हे अली...........
शशि चंद्रमा मुकुट त्रिभुवन धनि के
अंग अंग दिव्य भूषण कनक मणि के
सोहे श्यामा कर कंज श्याम कर मुरली...
दिव्य दम्पति की आरती उतारो हे अली..............
चितवनि मुस्कनी प्रेम रस बरसे
हिय हरषि नारायण चरण परसे
जय जय कही बरसे सुमन अंजलि
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