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-:Saras Kishori:-
-Indresh Ji Upadhyay-
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-Lyrics-
सरस किशोरी वयस् की थोरी
रति रस भोरी कीजे कृपा की कोर
श्री राधे
कीजे कृपा की कोर......
साधनहीन दीन में राधे
तुम करुणामयी प्रेम अगाधे
काके द्वारे जाय पुकारे
कौन निहारे दीन दुखी की ओर
श्री राधे
कीजे कृपा की कोर
करत अघन नहीं नेक अघाऊँ
भजन करन में ना मन को लगाऊँ
कर बरिजोरि लखि मम ओरी
तुम बिन मोरी कौन सुधारे डोर
श्री राधे
कीजे कृपा की कोर......
गोपी प्रेम की भिक्षा दीजे
कैसेहुं मोहे अपनों कर लीजे
तौर गुन गावत दिवस बितावत
दृग बरसावत
मैं हों भाव प्रेम विभोर
श्री राधे
कीजे कृपा की कोर.....
सरस किशोरी वयस् की थोरी
रति रस भोरी कीजे कृपा की कोर
श्री राधे
कीजे कृपा की कोर
Lyrics are very slightly altered and cropped. Original lyrics by Jagadguru Shree Kripalu ji Maharaj.
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