राजा बलि कहते है गुरुदेव अगर ये त्रिलोकी नाथ है और मेरा सर्वस्व हरण करने आये है तो मुझे स्वीकार है।
भगवान् को ऐसे लोग बिलकुल भी अच्छे लगते किसी को शुभ कर्म करने से रोकते हैं। एक बड़ा पाप कि हम अच्छा करते नहीं , दूसरा बड़ा पाप हम दूसरे करने से रोकते हैं।
भगवान ने एक तिनका लिया और कमंडल की टोंटी में डाल दिया जिस से शुक्राचार्य जी की एक आँख ...... गोविन्दाय नमो नमः।
राजा बलि ने संकल्प लिया, भूमि नापने का समय आया तो भगवान ने अपना विराट स्वरुप धारण किया और दो पग में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को नाप लिया। वामन भगवान राजा बलि से बोले, संकल्प तीन पग भूमि का किया था तुमने और यदि तीन पग भूमि दान नहीं की तो पाप लगेगा तुम्हे। अब बताओ तीसरा पग कहा रखूं ?
राजा बलि ने संकल्प लिया, भूमि नापने का समय आया तो भगवान ने अपना विराट स्वरुप धारण किया और दो पग में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को नाप लिया। वामन भगवान राजा बलि से बोले, संकल्प तीन पग भूमि का किया था तुमने और यदि तीन पग भूमि दान नहीं की तो पाप लगेगा तुम्हे। अब बताओ तीसरा पग कहा रखूं ?
शुक्राचार्य जी के शिष्य राजा बलि कहते है महाराज एक बात बताइये , दान बड़ा होता है कि दानी ? भगवान् कहते हैं , दानी बड़ा होता है क्यों कि वो दान का स्वामी है इसलिए हुआ।
राजा बलि कहते हैं "महाराज आपने दो पग में को नापा है तो एक पग में मुझे नाप लीजिये" और राजा बलि वामन भगवान के चरणों में दंडवत लेट गए। एक पग में आप मुझे नाप लीजिये मेरा कल्याण हो जायेगा।
श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
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