सदगुरु हमारे पास अगला सवाल है - माना जाता है कि श्रीनिवास रामानुजन मैथमैटिक इक्वेशन को ऐसे लिखते थे मानो उनकी पूरे ब्रह्माण्ड पर पहुँच हो। वो ये भी कहते है कि उनकी देवी उन्हें गणित के सूत्र बताती हैं , मैं उस स्थिति तक कैसे पहुँच सकता हूँ ?(ये सवाल है)
सदगुरु -: पहले आपको एक देवी खोजनी होगी !(हँसते हुए कहा) आप सभी फोन इस्तेमाल करते है ? क्यों ? पहले तो हमने फोन बनाया ही क्यों ? क्यों कि हम बोल सकते हैं।
अगर हमारे पास बोलने की क्षमता नहीं होती तो क्या हम माइक्रोफोन, टेलीफोन या ऐसी कोई चीज़ बनाते ?
हमने साईकिल क्यों बनाई ! क्यों कि हम चल सकते हैं , मगर हम और तेज़ चलना चाहते थे इसीलिए हम दौड़ने लगे , लेकिन दौड़ने पर पता चला कि उसकी एक सीमा है हम उस से भी तेज़ जाना चाहते थे इसलिये हमने साईकिल बनाई। मान लीजिये कि हम एक पेड़ की तरह होते एक जगह स्थिर तो क्या हम साईकिल का अविष्कार करते ? नहीं !
तो टेलीफोन , टेलिस्कोप, साइकिल, गाड़ियां , हवाई जहाज ये सब क्या है ? हमारे पास जो क्षमताएँ पहले से है हम उन्हें बेहतर बनाना चाहते है।
हमने कोई ऐसी मशीन नहीं बनाई जिसकी क्षमता हमारे पास नहीं थी , और अचानक से हमने कुछ बना लिया, क्यों कि हम उन चीज़ों के बारे में जानते ही नहीं। हमारे पास जो क्षमताएँ नहीं हैं उन्हें जानने का हमारे पास कोई तरीका नहीं हैं कि उसका कोई अस्तित्व है या नहीं। बस हमारे पास जो क्षमताएँ है उन्हें हम दूर तक ले जाने की कोशिश करते हैं।
तो इसी कोशिश में हमने कई मशीन बनाई। आज मौजूद सभी मशीने हमारी मौजूदा क्षमताओं को और बेहतर कर रही हैं। मशीनों ने कोई नई क्षमता पैदा नहीं की है। इसी तरह पुराने समय से ही इस संस्कृति में हमने ऐसी मशीनें बनाई जो किसी सामान्य या मैकेनिकल प्रक्रिया से नहीं बनी बल्कि ऊर्जा की प्रक्रिया से बनी हैं। ऊर्जा की प्रक्रिया से बनी मशीन से मतलब क्या है ! देखिये मान लीजिये कोई मर जाता है। आपने मरे हुए लोगों को देखा है ? आपने मरे हुए लोग देखें है या लाश देखी है। हां आपने लाश देखी है मरे हुए लोग नहीं।
लाश का अर्थ क्या है? मान लीजिये कोई बस दम घुटने से मर गया, अगर कोई दम घुटने से मर गया इसका मतलब है उसका दिल ठीक है वो धड़क नहीं रहा मगर वो (दिल) फिट है , उसका लिवर, किडनी सब कुछ ठीक है बस वो इंसान जिन्दा नहीं। उस व्यक्ति के सभी मशीनी अंग ठीक है बस जीवन ऊर्जा नहीं। तो ये भी(शरीर) एक स्तर पर ऊर्जा मशीन है उसके परे हमने मैकेनिकल अंग लगा दिए। सभी मैकेनिकल अंग ठीक होने पर भी यदि ऊर्जा नहीं होगी तो ये (शरीर) काम नहीं करेगा। तो गहराई से देखने पर पता चला की हम एक ऊर्जा मशीन बना सकते है मैकेनिकल अंगो के बिना , क्यों कि मैकेनिकल अंगो को रख रखाव और सर्विसिंग आदि की जरूरत पड़ती है, लेकिन अगर आप सिर्फ एक ऊर्जा मशीन बनाये तो वो दिन रात चलती चलती रहेगी। मान लीजिये कि आपका फोन किसी मैकेनिकल पार्ट के बिना एक ऊर्जा मशीन होता (ऐसा हो भी रहा है बड़ा फोन धीरे धीरे छोटा होता जा रहा है , कम से कम मैकेनिकल पार्ट्स के साथ वो और एफिसिएंट होता जा रहा है। धीरे धीरे ये उस ओर बढ़ रहा है जहां ये ज्यादा ऊर्जा आधारित और कम मैकेनिकल होता जा रहा है। है कि नहीं ? आपको जेम्स बॉन्ड की फिल्में याद है उन फिल्मों में फोन किसी नवजात बच्चे जैसा लगता था मगर आज वो काफी छोटा सा रह गया है। जैसे कि अगले 10 -15 सालों में उम्मीद की जा रही है कि आपका फोन आपके हाथ में छपा हो सकता है ) तो अब हम मैकेनिकल से ऊर्जा आधारित मशीन की ओऱ बढ़ रहे हैं , एक बड़े बुल्डोजर से एक कंप्यूटर तक , ये एक बड़ा अंतर आया है की वो ज्यादा ऊर्जा पर आधारित और काम मैकेनिकल है।
इसलिए हमने ऊर्जा मशीन बनाई जिन्हे इस संस्कृति में देवी देवता कहा गया है और आमतौर हमने उन्हें मूर्ति कहा , जिसका मतलब आकार या रूप। एक रूप जिसमे कुछ खास चीज़ें करने की क्षमता है। तो अलग अलग रूप अस्तित्व की खिड़कियों की तरह है ,जिनसे आप अलग अलग आयाम खोल सकते है। लेकिन ये सब भुलाया जा चुका है , आज अंधविश्वास के रूप में उसे बकवास बना दिया गया है वर्ना इसके बारे में साफ़ जानकारियां हुआ करती थी।
आज कल लोग इस से या उस अपनी पहचान जोड़ लेते हैं इसलिए उन्हें लगता है कि भगवान् का मतलब उनसे सम्बन्ध जोड़ना है। नहीं भगवान् इसके लिए गलत शब्द है , ये देवी देवता या मूर्तियां है जिन्हे एक खास मकसद से बनाया गया था। अगर आपको बुद्धि चाहिए तो आप एक खास तरह के देवता के पास जाते हैं , अगर आपको डर लगता है तो दूसरे तरह के देवता के पास , प्यार में समस्या है तो दूसरे तरह के देवता के पास , पैसों की समस्या तो दूसरे तरह के देवता के पास। इस तरह उन्होंने ऊर्जा के रूप बनाए जिनका इस्तेमाल करना आपको सीखना होगा। ये प्रार्थना या पूजा के स्थान नहीं हैं ,
इन जगहों पर आप सीख सकते है कि उन मशीनों का इस्तेमाल कैसे करें अपने फायदे के लिए।
उन्हें कई रूपों और क्षमताओं में बनाया गया , उन्हें लोगों की आनुवंशिक जानकारी से भी जोड़ा गया जिन्हे हमने कुल देवता कहा। जहाँ वो सिर्फ उसी वंश के लोगों के लिए काम करेगा। यह एक बहुत जटिल प्रक्रिया है।
तो रामानुजन दक्षिण भारत के थे , मैं दक्षिण का जिक्र खास तौर पर इसलिए कर रहा हूँ क्यों कि चीज़ें वैसे तो पुरे देश में थी मगर इस देश के उत्तरी हिस्से ने बहुत विदेशी हमले और तोड़ फोड़ सहे।
"दक्षिण" विंध्याचल के पहाड़ो से दक्षिण के हिस्से में हम काफी सुरक्षित रहे , आज भी हमने कई चीज़े कायम रखी है। हमने उत्तर की तरह कोई उथल पुथल नहीं झेली इसके कारण कुछ वैज्ञानिक प्रक्रियाएं अब जीवित और सक्रिय हैं जो एक रामानुजन निर्माण कर सकीं।
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देवी नामगिरी |
रामानुजन ने ब्लैक होल्स (Black Hole) के बारे में बात की लगभग सौ या सौ से अधिक साल पहले , जब ब्लैकहोल का कांसेप्ट ही नहीं था। उन्होंने उस समय ब्लैकहोल के लिए गणित बनाया जब ब्लैकहोल का कोई कांसेप्ट ही नहीं था। विज्ञान इसी तरह आगे बढ़ता है पहले कॉन्सेप्ट फिर थ्योरी और फिर गणित। लेकिन उन्होंने पहले गणित बनाया , जब कॉन्सेप्ट नहीं था जब थ्योरी ही नहीं थी। जब वो मृत्यु शैय्या पर थे और गणित मानो उनसे बहकर निकल रहा था , गणित की कई नोटबुक्स , बस यूँही बह रहा था , लोगों ने पूछा ये कहाँ से आ रहा है? ये क्या है ? तब रामानुजन बोले मेरी देवी के शरीर से गणित बह रहा है
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