रामायण के अदभुत तथ्य
कैकेई ने दशरथ से वरदान मांगे
⦿ रानी कैकेई ने अपने पहले वरदान में राजा दशरथ से भरत के लिए अयोध्या का राज और दूसरे वरदान में राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँगा था
हनुमान जब लंका गए
⦿ हनुमान जी जब सीता जी खोज के लिए समुद्र मार्ग से लंका जा रहे थे तब उन्हें मार्ग में सुरसा नाम की एक राक्षसी मिली थी। जो हनुमान जी को खाने का प्रयास कर रही थी। लेकिन हनुमान जी अपने चतुर बुद्धि कौशल से वहां से निकल गए।
○ लंकिनी स्वंय लंका ही थी। जब हनुमान जी लंका के द्वार पर पहुंचे तब उनका सामना लंकिनी से हुआ था।
○ हिडिम्बा का वर्णन महाभारत में मिलता है। जब लाक्षा गृह की आग से बच कर पाँचो पांडव भाई और महारानी कुंती एक वन में विश्राम कर रहे थे। उस समय निशाचरी हिडिम्बा और उसके भाई हिडिम्ब की कथा का वर्णन महाभारत में मिलता है। बाद में महाबली भीम का विवाह हिडिम्बा से होता है जिनसे भीम के पुत्र घटोत्कच का जन्म होता है।
○ त्रिजटा लंका की ही राक्षसी थी। उसके सिर पर बालों की तीन जटाएं थी इसलिए उसका नाम त्रिजटा था। अशोक वाटिका में सीता की पहरेदारी करने वाली सभी राक्षसियों की मुखिया त्रिजटा थी।
सीता स्वयंवर
⦿ माता पार्वती ने कन्यादान के समय एक अंगूठी सीता जी को दी थी। वही अंगूठी जानकी ने भगवान् राम को दी थी केवट को देने के लिए।
रामसेतु का निर्माण
⦿ रामायण के अनुसार राम सेतु का निर्माण 5 दिवस में सम्पूर्ण हुआ था।
पिनाक शिवधनुष
⦿ पिनाक भगवान् शिव का धनुष था। जिसका खंडन कर के भगवान राम ने सीता से विवाह किया था।
नरान्तक और दधिबल
⦿ नरान्तक और दधिबल ने बाल्यकाल मे एक ही गुरुकुल में अध्ययन किया था। बाद में राम रावण युद्ध के समय दधिबल ने ही नरान्तक का वध किया था।
सुषेण वैद्य और लक्ष्मण शक्ति
⦿ सुषेण वैद्य लंका का राजवैद्य था। जब लखन लान को मेघनाद ने शक्ति से मूर्छित कर दिया था, तब विभीषण के सुझाव पर हनुमान जी लंका में से सुषेण वैद्य को उनके घर सहित रामादल में उठा लाये थे।
महाराज जनक का परिवार
⦿ महाराज जनक के छोटे भाई का नाम कुशध्वज था। राजा जनक का नाम सीरध्वज था, और राजा जनक को विदेह इसलिए कहा जाता था क्यों कि उन्हें देह से विरक्ति थी। महराज जनक के पिता का नाम निमि था
भारत और लंका का युद्ध
⦿ रामायण के युद्ध में कुम्भकर्ण की मृत्य होने के बाद मेघनाद की मृत्य लक्षण के द्वारा हुई। इसके बाद रावण के कहने पर अहिरावण ने विभीषण का छदम वेश बनाया और रामादल से सोते हुए राम और लक्षण को उठा कर पातालपुरी ले गया। बाद में श्री हनुमान जी महाराज ने पातालपुरी जा कर अहिरावण का वध किया। उसके पश्चात् रावण का वध भगवान् राम ने किया।
हनुमान जी और संजीवनी बूटी
⦿ शक्ति द्वारा जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए तब सुषेण वैध ने द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा।
लक्ष्मण और माता सुमित्रा
⦿ महारानी सुमित्रा के बड़े पुत्र लक्ष्मण को सौमित्र भी कहा गया।
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